❇️ चुनाव :-
🔹 लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनता जिस विधि द्वारा अपने प्रतिनिधि चुनती है उसे चुनाव ( निर्वाचन ) कहते हैं ।
❇️ प्रतिनिधि :-
🔹 लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनता जिस व्यक्ति का चुनाव करके सरकार में ( संसद / विधानसभा ) में भेजती है , उस व्यक्ति को प्रतिनिधि कहते हैं ।
❇️ प्रत्यक्ष लोकतंत्र :-
🔹 प्राचीन यूनानी नगर राज्यों में कम जनसंख्या होने के कारण जनता एक स्थान पर प्रत्यक्ष रूप से एकत्रित होकर हाथ उठाकर रोजमर्रा ( दैनिक ) के फैसले तथा सरकार चलाने में भाग लेते थे । जिसे प्रत्यक्ष लोकतंत्र कहते हैं ।
❇️ अप्रत्यक्ष लोकतंत्र :-
🔹 आधुनिक विशाल जनसंख्या वाले राष्ट्रों में प्रत्यक्ष लोकतंत्र व्यवहारिक नही रहा । आम जनता प्रत्यक्ष रूप से एक स्थानपर एकत्रित होकर सीधे सरकार की कार्यवाही में भाग नहीं ले सकती है । इसलिए अपने प्रतिनिधियों को भेजकर सरकार में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई जाती है । इसे अप्रत्यक्ष लोकतंत्र कहते है ।
❇️ चुनाव और लोकतंत्र :-
🔹 चुनाव और लोकतंत्र एक सिक्के के दो पहलू हैं । लोकतंत्र चुनाव के बिना अधूरा है तो चुनाव लोकतंत्र के बिना महत्वहीन है ।
❇️ भारत में चुनावों का इतिहास :-
🔹 भारत में पहला चुनाव सन् 1951-1952 में हुआ था ।
🔹 दूसरा चुनाव सन् 1957 में हुआ था ।
❇️ भारत में चुनाव व्यवस्था :-
🔹 भारतीय संविधान मे चुनावों के लिए कुछ मूलभूत नियम कानून एवं स्वायत्त संस्था के गठन के नियमों को सूचीबद्ध कर रखा है । विस्तृत नियम कानून संशोधन । परिवर्तन का काम विधायिका को दे रखा है ।
🔹 चुनाव व्यवस्था में चुनाव आयोग का गठन , उसकी कार्यप्रणाली , कौन चुनाव लड़ सकता है , कौन मत दे सकता है , कौन चुनाव की देखरेख करेगा , मतगणना कैसे होगी आदि सभी स्पष्ट रूप से लिखा है ।
❇️ चुनाव आयोग :-
🔹 भारत में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए एक तीन सदस्यी चुनाव आयोग है । जिसमें एक मुख्य चुनाव आयुक्त तथा दो अन्य चुनाव आयुक्त होते है । मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है देश के प्रथम चुनाव आयुक्त श्री सुकुमार सेन थे । मुख्य चुनाव आयुक्त का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 साल जो पहले हो , का होता है । वर्तमान मुख्य चुनाव आयुक्त श्री सुनील अरोड़ा है ।
❇️ सर्वाधिक वोट से जीत की प्रणाली :-
🔹 इस प्रणाली को भारत में अपनाया गया है । इसमें सबसे अधिक वोट पाने वाला विजय होगा चाहे जीत का अन्तर एक वोट ही हो ।
❇️ लोकसभा एवं विधानसभा सदस्य बनने के लिए संविधान में तय की गई योग्यताएं :-
🔹 भारत का नागरिक हो ।
🔹 आयु 25 वर्ष हो ।
🔹 लाभ के पद पर ना हो ।
🔹 पागल या दिवालिया ना हो ।
🔹 अपराधिक प्रवृत्ति का या सजा याफ्ता ना हो ।
❇️ लोकतंत्र में चुनावों का महत्व :-
🔹 चुनाव व लोकतंत्र एक सिक्के के दो पहलू हैं । आज विश्व में सौ से अधिक देशों में लोकतंत्र है । जहां लोकतंत्र है वहां जनप्रतिनिधियों को चुनने के लिए चुनाव प्रणाली अपनाई जाती है ।
❇️ चुनाव प्रक्रिया :-
🔹 चुनाव आयोग द्वारा अधिसूचना जारी होना ।
🔹 चुनावों की तिथि , आवेदन करने , नाम वापस लेने की तिथि । चुनाव प्रचार तथा चुनाव प्रचार की निगरानी करना , तय तिथि पर चुनाव स्वतंत्र एवं निष्पक्ष कराना , मतगणना कराना तथा चुनाव परिणाम घोषित करना । (चुनाव, अधिकारियों की नियुक्ति , मतदान केन्द्रों की स्थापना )
❇️ समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली :-
🔹 इस प्रणाली में प्रत्येक पार्टी चुनावों से पहले अपने प्रत्याशियों की एक प्राथमिकता सूची जारी कर देती है , और अपने उतने ही प्रत्याशियों को उस प्राथमिकता सूची से चुन लेती है , जितनी सीटों का कोटा उसे दिया जाता है । चुनावों की इस व्यवस्था को समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली कहते है ।
❇️ समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के प्रकार :-
🔹समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के दो प्रकार होते हैं । जैसे –
1. इजराइल व नीदरलैंड में पूरे देश को एक निर्वाचन क्षेत्र माना जाता है और प्रत्येक पार्टी को राष्ट्रीय चुनावों में प्राप्त वोटों के अनुपात में सीट दे दी जाती है ।
2. दूसरा प्रकार अर्जेटीना व पुर्तगाल में जहाँ पूरे देश को बहु – सदस्ययी निर्वाचन क्षेत्रों में बांट दिया जाता है ।
❇️ भारत में सर्वाधिक वोट से जीत की ‘ प्रणाली क्यों स्वीकार की गई ?
🔹 यह प्रणाली सरल है , उन मतदाओं के लिए जिन्हें राजनीति एवं चुनाव का ज्ञान नहीं है ।
🔹 चुनाव के समय मतदाताओं के पास स्पष्ट विकल्प होता है ।
🔹 देश में मतदाताओं को दलों की जगह उम्मीदवारों के चुनाव का अवसर मिलता है जिनको वो व्यक्तिगत रूप से जानते है ।
❇️ निर्वाचन क्षेत्रों का आरक्षण :-
🔹 भारतीय संविधान द्वारा सभी वर्गों को संसद में समान प्रतिनिधित्व देने के प्रयास में आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों की व्यवस्था को अपनाया गया है । इस व्यवस्था के अंतर्गत , किसी निर्वाचन क्षेत्र में सभी मतदाता वोट तो डालेंगे लेकिन प्रत्याशी केवल उसी समुदाय या सामाजिक वर्ग का होगा जिसके लिए सीट आरक्षित है ।
❇️ सार्वभौमिक व्यस्क मताधिकार :-
🔹 किसी जाति , धर्म , लिंग एवं क्षेत्र के भेदभाव के बिना सभी 18 वर्ष से ऊपर आयु वर्ग के नागरिकों को मत देने का अधिकार ।
❇️ चुनाव सुधार :-
🔹 चुनाव की कोई प्रणाली कभी आदर्श नहीं हो सकती । उसमें अनेक कमियाँ और सीमाएं होती है । लोकतांत्रिक समाज को , अपने चुनावों को और अधिक स्वतंत्र और निष्पक्ष बनाने के तरीकों को बराबर खोजते रहना पड़ता है , जिसे चुनाव सुधार कहते है । जैसे भारत में आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों को चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध या फिर चुनाव लड़ने के लिए कुछ अनिवार्य शिक्षा योग्यता निर्धारित करना ।
❇️ चुनाव प्रणाली की विशेषताएं :-
🔹 भारत में सर्वाधिक मत से जीत की प्रणाली को अपना रखा है इसकी विशेषताएं है
1. इसमें प्रतिनिधि जनता के प्रति जवाब देह होते है ।
2. मतदाता एवं प्रतिनिधि का प्रत्यक्ष सम्पर्क रहता है ।
3. यह प्रणाली क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व लोकतंत्रीय सिद्धान्त पर आधारित है ।
4. इसमें खर्च कम आता है ।
5. इस प्रणाली से राष्ट्रीय एकता को बल मिलता ।
6. यह सरल है ।
❇️ चुनाव प्रणाली के दोष :-
🔹 धन का अधिक व्यय ( खर्च ) ।
🔹 वोटों का खरीदा जाना ।
🔹 झूठा प्रचार ।
🔹 साम्प्रदायिकता हिंसा ।
🔹 जाति , धर्म के नाम पर वोट ।
🔹 अपराधियों का प्रवेश ।