खाड़ी युद्ध और स्वतंत्र राष्ट्रों का राष्ट्रकुल
(Gulf War and Common-Wealth of Independent States)
प्रथम खाड़ी युद्ध (1991) :-
- जब 34 देशो की मिली जुली सेना ने कुवैत को आजाद करने के लिए इराक पर आक्रमण किया और उसे युद्ध मे हरा दिया। इसी युद्ध को प्रथम खाड़ी युद्ध के नाम से जाना जाता है ।
प्रथम खाड़ी युद्ध के कारण :-
प्रथम खाड़ी युद्ध का कारण था जब 1990 के अगस्त में इराक ने कुवैत पर आक्रमण करके उस पर कब्ज़ा कर लिया ।
इसके बाद इराक को समझाने का हर एक प्रयास नाकाम रहा ।
तब संयुक्त राष्ट्र संघ ने कुवैत को मुक्त कराने के लिए बल प्रयोग की अनुमति दी ।
शीतयुद्ध के दौरान ज्यादातर मामलो में चुप्पी साधने वाले संयुक्त राष्ट्र के लिहाज से यह एक नाटकीय फैसला था इसी कारण अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने इसे ‘नयी विश्व व्यवस्था‘ की संज्ञा दी ।
विवरण:-
34 देशो की मिली जुली सेना ने इराक के विरुद्ध मोर्चा खोला और उसे युद्ध में हरा दिया । इसे ही प्रथम खाड़ी युद्ध कहा जाता है ।
इस अभियान को ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म भी कहा जाता है जो एक हद तक अमेरिकी सैन्य अभियान था क्योकि इसमें 75% सैनिक अमेरिका के ही थे ।
अमेरिकी जनरल नार्मन श्वार्ज़कोव इस अभियान के प्रमुख थे।
इराक के राष्र्टपति सद्दाम हुसैन ने इसे सौ जंगो की एक जंग कहा था।
प्रथम खाड़ी युद्ध का परिणाम :-
कुवैत को मुक्त कराया गया ।
इस युद्ध से यह स्पष्ट हो गया की अमेरिका की सैन्य शक्ति अन्य देशो से कही ज्यादा है ।
इस युद्ध में अमेरिका ने स्मार्ट बमो का प्रयोग किया इसके चलते इसे कंप्यूटर युद्ध भी कहा गया ।
इस युद्ध की टेलीविज़न पर बहुत ज्यादा कवरेज हुई इस कारण से इसे वीडियो गेम वॉर भी कहा जाता है ।
अमेरिका को युद्ध से आर्थिक लाभ हुआ क्योकि जितना खर्च उसने इस युद्ध पर किया उससे कही ज्यादा रकम उसे जर्मनी, जापान , सऊदी अरब जैसे देशो से मिली थी।
द्वितीय खाड़ी युद्ध :-
19 मार्च 2003 को अमेरिका ने ऑपरेशन इराकी फ्रीडम के कूटनाम से इराक पर सैन्य हमला किया ।
अमेरिकी अगुवाई वाले कॉअलिशन ओव विलिंग्स ( आकांक्षियो के महाजोट) में 40 से ज्यादा देश शामिल हुए।
संयुक्त राष्ट्र ने अमेरिकी को इस हमले की अनुमति नहीं दी थी ।
दिखावे के लिए कहा गया कि सामूहिक संहार के हथियार बनाने से रोकने के लिए इराक पर हमला किया गया लेकिन इराक में इन हथियारों की मौजूदगी के कोई प्रमाण नहीं मिले ।
उद्देश्य :-
द्वितीय खाडी युद्ध का पहला उद्देश्य इराक के तेल भंडार पर कब्ज़ा करना था ।
इसका दूसरा उद्देश्य इराक में अमेरिका की मनपसंद सरकार कायम करना ।
परिणाम :-
सद्दाम हुसैन का अंत ।
एक अनुमान के मुताबित हमले के बाद लगभग 50,000 नागरिक मारे गए।
अमेरिकी असफलता के कारण :-
इराक में अमेरिका के खिलाफ विद्रोह भड़क उठा ।
अमेरिका के 3000 सैनिक युद्ध में मरे गए ।
यह हमला सैन्य और राजनितिक धरातल पर असफल सिद्ध हुआ ।
स्वतंत्र राष्ट्रों का राष्ट्रकुल:-
संयुक्त राष्ट्रों के राष्ट्रकुल के अंतर्गत आने वाले देश सोवियत संघ के विघटन के परिणामस्वरूप अस्तित्व में आये और यह संगठन उन सभी देशो को एक मंच पर लाता है ।
स्थापना – 8 दिसंबर 1991 .
संस्थापक देश – रूस , बेलारूस, यूक्रेन ।
मुख्यालय – बेलारूस ।
स्वतंत्र राष्ट्रों का राष्ट्रकुल का उद्देश्य :-
पर्व सोवियत संघ से स्वतन्त्र हुए देशो को सहायता पहुंचना ,
वहां की राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रोत्साहन देना ।
निरस्त्रीकरण से सम्बंधित नीतियों को बढ़ावा देना ।
इसके सदस्यों देशो में आर्थिक एकता स्थापित करने के लिए कार्य करना ।
इन देशो में व्याप्त आर्थिक पिछड़ेपन और गरीबी जैसी समस्याओ को सुलझाने के लिए एक साथ आना