परिचय :-
- विकास दुनिया की पाँच आपणी उभरती अर्थव्यवस्थाओं ब्राजील , रूस , भारत , और दक्षिण अफ्रीका के समूह के लिए एक संक्षिप्त शब्द ( Abbreviation ) है । ब्रिक्स कोई अंतर्राष्ट्रीय अंतर - सरकारी संगठन नहीं है . न ही यह किसी संधि के तहत स्थापित हुआ है । इसे पांच देशों का एकीकृत प्लेटफार्म कहा जा सकता है । ब्रिक्स देशों के सर्वोच्च नेताओं का तथा अन्य मंत्रिस्तरीय सम्मलन प्रतियां आयोजित किय जाते हैं ब्रिक्स शिखर सम्मलेन को अध्यक्षता प्रतिवर्ष B - R - I - C - S क्रमानुसार सदस्य देशों के सर्वोच्च नेता द्वारा की जाती है ।
मुख्य विशेषताएं :-
1. ब्रिक्स देशों की जनसंख्या दुनिया की आबादी का लगभग 40 % है ।
2. इसका वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में हिस्सा लगभग 30% है |
3. इसे महत्त्वपूर्ण आर्थिक वजन के रूप में देखा जाता है ।
4. यह एक उभरता हुआ निवंश बाजार तथा वैश्विक शक्ति है ।
ब्रिक्स का आरम्भ :-
1. BRICS को बचा वर्ष 2001 में Goldman Sachs के अर्थशाम्रो ' जिम ओ नील द्वारा ग्राजील , रूस , भारत और चीन की अर्थव्यवस्थाओं के लिये विकास की संभावनाओं पर एक रिपोर्ट में की गई थी ।
2. वर्ष 2006 में चार देशों ने सयुक्त राष्ट्र महासभा को सामान्य बहस के अंत में विदेश मंत्रियों की वार्षिक बैठकों के साथ एक नियमित अनौपचारिक राजनयिक समन्वय शुरू किया ।
3. इस सफल बातचीत से यह निर्णय हुआ कि इसे वार्षिक शिखर सम्मेलन के रूप में देश और सरकार के प्रमुखों के स्तर पर आयोजित किया जाना चाहिए ।
4. पहला BRIC शिखर सम्मेलन वर्ष 2009 में रूस के येकतरिनबर्ग में हुआ और इसमें वैश्विक वित्तीय व्यवस्था में सुधार जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई ।
5. दिसंबर 2010 में दक्षिण अफ्रोका को BRIC में शामिल होने के लिये आमत्रित किया गया और इसे BRICS कहा जाने लगा ।
6. मार्च 2011 में दक्षिण अफ्रीका ने पहली बार चीन के सान्या में तीसरे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लिया ।
उद्देश्य :-
1. ब्रिक्स का उद्देश्य अधिक स्थायी न्यायसमत और पारस्परिक रूप से लाभकारी विकास के लिये समूह के साथ - साथ , अलग - अलग देशों के बीच सहयोग की व्यापक स्तर पर आगे बढ़ाना है ।
2. ब्रिक्स द्वारा प्रत्येक सदस्य को आर्थिक स्थिति और विकास को ध्यान में रखा जाता है ताकि संबंधित देश की आर्थिक ताकत के आधार पर संबंध बनाए जाएँ और जहाँ तक संभव हो सके प्रतियोगिता से बचा जाए ।
सहयोग के क्षेत्र ( आर्थिक सहयोग , पीपल टू - पीपल एक्सचेंज , राजनीतिक और सुरक्षा सहयोग )
1 . आर्थिक सहयोग:-
i) ब्रिक्स देशों में कई क्षेत्रों में आर्थिक सहयोग की गतिविधियों के साथ-साथ व्यापार और निवेश तेजी से बढ़ रहा है ।
ii) ब्रिक्स समझाता से आर्थिक और व्यापारिक सहयोग , नवाचार सहयोग , सीमा शुल्क सहयोग , विक्स व्यापार परिषद , आकस्मिक रिजर्व समझौते और न्यू डेवलपमेंट बैंक के बीच रणनीतिक सहयोग आदि सामने आए हैं ।
iii) ये समझौते आर्थिक सहयोग को मजबूत करने और एकीकृत व्यापार तथा निवेश बाजारों को बढ़ावा देने के साझा उद्देश्यों को प्राप्ति में योगदान देते है ।
2. पीपल - टू - पीपल एक्सचेज :-
i) विक्स मदस्थी ने पोपल - टू - पीपल एक्सचेंज को मजबूत करने और संस्कृति , खेल , शिक्षा , फिल्म आदि क्षेत्रों तथा युवाओं में निकट सहयोग को बढ़ावा देने की आवश्यकता को पहचाना है।
ii) पीपल - टू - पीपल एक्सचेंज द्वारा ब्रिक्स सदस्यों के बीच खुलापन , समावेशिता , विविधता और सीखने की भावना आदि मामलों में संबंधों के मजबूत होने की अपेक्षा की जाती है ।
iii) पोपल - टू - पीपल एक्सचेंज में यंग डिप्लोमेट्स फोरम पार्लियामेंट्री फोरम , ट्रेड यूनियन फोरम , सिविल बिक्स के साथ - साथ मीडिया फोरम मी शामिल हैं ।
3. राजनीतिक और सुरक्षा सहयोग :-
i) ब्रिक्स सदस्यों के राजनीतिक और सुरक्षा सहयोग का उद्देश्य विश्व को शाति , सुरक्षा विकास और अधिक न्यायसंगत एवं निष्पक्ष बनाने में सहयोग करना है ।
ii) ब्रिक्स सदस्य देशों को घरेलू और क्षेत्रीय चुनौतियों के लिये साझा नीतिगत सलाह तथा सर्वोत्तम कार्यों के आदान - प्रदान का अवसर प्रदान करता है।
iii) यह वैश्विक राजनीतिक व्यवस्था के पुनर्गठन पर बल देता है ताकि यह बहुपक्षवाद पर आधारित हो एवं अधिक संतुलित हो । दक्षिण अफ्रीका की विदेश नीति की प्राथमिकताओं के लिये ब्रिक्स को एक माध्यम के रूप में उपयोग किया जाता है जिसमें अफ्रीकी एजेंडा और दक्षिण - दक्षिण सहयोग शामिल है ।
ब्रिक्स के समक्ष महत्वपूर्ण चुनौतियाँ:-
1. तीन बड़े देशा- रूस , चीन , भारत के अपने - अपने हित ब्रिक्स के लिये चुनौती है दुनियाभर के बड़े उभरते बाजारों का प्रतिनिधि बनने के लिये विकास को बहुमहाद्वीपोय होना चाहिये । अन्य क्षेत्रों और महादीपा से भी इसके सदस्य बनाने पर विचार करना चाहिए ।
2. ब्रिक्स को वैश्विक रूप से प्रासंगिकता बढ़ाने के लिये अपने एजेंडे का विस्तार करने की आवश्यकता होगी । अभी तक जलवायु परिवर्तन और वित विकास , आधारभूत संरचना के निर्माण को ही एजेंडे में प्रमुखता मिली हुई है ।
3. ब्रिक्स आधारभूत सिद्धांतों पर काम करता जिनमें वैश्विक शासन संप्रभुता , समानता और बहुलवाद शामिल हैं । इनकी अपनी चुनौतियाँ हैं क्योंकि पाँचों सदस्य देशों पर स्वयं के राष्ट्रीय एजेंडे हावी हो सकते हैं ।
4. डोकलाम में भारत और चीन के बीच सैन्य गतिरोध ने प्रभावी रूप से इस सामान्य धारणा को समाप्त कर दिया है कि ब्रिक्स सदस्यों के बीच सहज राजनीतिक संबंध बने रह सकते हैं ।
5. चीन के सहयोगी राष्ट्र जो कि उसके बल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का हिस्सा है , ब्रिक्स सदस्या विशेषकर चीन और भारत के बीच संघर्ष भड़का सकते हैं ।
भारत के लिए ब्रिक्स का महत्व :-
1. भारत आर्थिक मुद्दों पर परामर्श और सहयोग के साथ - साथ सामयिक वैश्विक मुद्दों , जैसे- अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद . जलवायु परिवर्तन , खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा , अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों में सुधार आदि के माध्यम से ब्रिक्स को सामूहिक ताकत से लाभान्वित हो सकता है ।
2. न्यू डेवलपमेंट बैंक ( NDE ) भारत को बुनियादी ढांचे और सतत् विकास परियोजनाओं के लिये संसाधन जुटाने तथा लाभ अर्जित करने में मदद करेगा ।
3. न्यू डवलपमेंट बैंक ( NDB ) ने अपने पहले ऋण को स्वीकृति दी है , जिसमें नवीकरणीय ऊर्जा फाइनेंसिंग स्कीम के तहत भारत के लिये मल्टोट्रेन्च फाइनसिंग सुविधा हेतु 250 मिलियन डॉलर का ऋण शामिल है ।