❇️ वैश्वीकरण :-
🔹 एक अवधारणा के रूप में वैश्वीकरण का बुनियादी तत्व ‘ प्रवाह ‘ है । प्रवाह कई प्रकार के होते हैं जैसे – वस्तुओं , पूँजी , श्रम और विचारों का विश्व के एक हिस्से से दूसरे अन्य हिस्से में मुक्त प्रवाह ।
🔹 वैश्वीकरण को भूमण्डलीयकरण भी कहते है और यह एक बहुआयामी अवधारणाा है । यह न तो केवल आर्थिक परिघटना है और न ही सिर्फ सांस्कृतिक या राजनीतिक परिघटना ।
❇️ वैश्वीकरण के कारण :-
🔹 उन्नत प्रौद्योगिकी एवं विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव जिस कारण आज विश्व एक वैश्विक ग्राम बन गया है ।
🔹 टेलीग्राफ , टेलीफोन , माइक्रोचिप , इंटरनेट एवं अन्य सूचना तकनीकी साधनों ने विश्व के विभिन्न भागों के बीच संचार की क्रांति कर दिखाई है ।
🔹 पर्यावरण की वैश्विक समस्याओं जैसे सुनामी , जलवायु परिवर्तन वैश्विक तापवृद्धि से निपटने हेतू अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग ।
❇️ वैश्वीकरण की विशेषताएँ :-
🔹 पूंजी , श्रम , वस्तु एवं विचारों का गतिशील एवं मुक्त प्रवाह ।
🔹 पूंजीवादी व्यवस्था , खुलेपन एवं विश्व व्यापार में वृद्धि ।
🔹 देशों के बीच आपसी जुड़ाव एवं अन्तः निर्भरता ।
🔹 विभिन्न आर्थिक घटनाएँ जैसे मंदी और तेजी तथा महामारियों जैसे एंथ्रेक्स , इबोला , HIV AIDS , स्वाइन फ्लू जैसे मामलों में वैश्विक सहयोग एवं प्रभाव ।
❇️ वैश्वीकरण के उदाहरण :-
🔹 विभिन्न विदेशी वस्तुओं की भारत में उपलब्धता ।
🔹 युवाओं को कैरियर के विभिन्न नए अवसरों का मिलना ।
🔹 किसी भारतीय का अमेरिकी कैलेंडर एवं समयानुसार सेवा प्रदान करना ।
🔹 फसल के खराब हो जाने से कुछ किसानों द्वारा आत्म – हत्या कर लेना ।
🔹 अनेक खुदरा ( रिटेल ) व्यापारियों को डर है कि रिटेल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश ( FDI ) लागू होने से बड़ी रिटेल कम्पनियाँ आयेंगी और उनका रोजगार छिन जायेगा ।
🔹 लोगों के बीच आर्थिक असमानता में वृद्धि ।
❇️ वैश्वीकरण के सकारात्मक प्रभाव :-
- वस्तुओं एवं सेवाओं का प्रवाह ।
- रोजगार के अवसरों का उत्पन्न होना ।
- तकनीक एवं शिक्षा का अदान – प्रदान ।
- जीवन शैली में परिवर्तन ।
- विश्व के लोगो से जुडाव ।
- आर्थिक मजबूती प्रदान करना एवं आत्मनिर्भर बनाना ।
❇️ वैश्वीकरण के नकारात्मक प्रभाव :-
- लघु – कुटीर उद्योग का पतन ।
- आमिर अधिक अमीर और गरीब और गरीब हो जाता है ।
- सांस्कृतिक पतन ।
- आर्थिक गतिविधियों का विदेशी कंपनियों का वर्चश्व ।
- पूंजीपतियों का वर्चश्व
❇️ वैश्वीकरण के प्रकार :-
🔸 ( i ) राजनीतिक
🔸 ( i ) आर्थिक
🔸 ( iii ) सांस्कृतिक
❇️ वैश्वीकरण के राजनीतिक प्रभाव :-
🔹 वैश्वीकरण से राज्य की क्षमता में कमी आई है । राज्य अब कुछ मुख्य कार्यों जैसे कानून व्यवस्था बनाना तथा सुरक्षा तक ही सीमित है ।
🔹 अब बाजार आर्थिक और सामाजिक प्राथमिकताओं का मुख्य निर्धारक है ।
🔹 राज्य की प्रधानता बरकरार है तथा उसे वैश्वीकरण से कोई खास चुनौती नहीं मिल रही ।
🔹 इस पहलू के अनुसार वैश्वीकरण के कारण अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के बूते राज्य अपने नागरिकों के बारे में सूचनाएँ जुटा सकते है और कारगर ढंग से कार्य कर सकते है । अतः राज्य अधिक ताकतवर हुए है ।
❇️ वैश्वीकरण के आर्थिक प्रभाव :-
🔹 अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष , विश्वबैंक एवं विश्व व्यापार संगठन जैसे – अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा आर्थिक नीतियों का निर्माण । इन संस्थाओं में धनी , प्रभावशाली एवं विकसित देशों का प्रभुत्व ।
🔹 आयात प्रतिबंधो में अत्यधिक कमी ।
🔹 पूंजी के प्रवाह से पूंजीवादी देशों को लाभ परन्तु श्रम के निर्बाध प्रवाह न होने के कारण विकासशील देशों को कम नाम ।
🔹 विकसित देशों द्वारा वीजा नीति द्वारा लोगों की आवाजाही पर प्रतिबंध ।
🔹 वैश्वीकरण के कारण सरकारे अपने सामाजिक सरोकारों से मुंह मोड़ रही है उसके लिए सामाजिक सुरक्षा कवच की आवश्यकता है ।
🔹 वैश्वीकरण के आलोचक कहते है कि इससे समाजों में आर्थिक असमानता बढ़ रही है ।
❇️ वैश्वीकरण के सांस्कृतिक प्रभाव :-
- सांस्कृतिक समरूपता द्वारा विश्व में पश्चिमी संस्कृतियों को बढ़ावा ।
- खाने – पीने एवं पहनावे में विकल्पों की संख्या में वृद्धि ।
- लोगों में सांस्कृतिक परिवर्तनों पर दुविधा ।
- संस्कृतियों की मौलिकता पर बुरा असर ।
- सांस्कृतिक वैभिन्नीकरण जिसमें प्रत्येक संस्कृति कही ज्यादा अलग और विशिष्ट हो रही है ।
- महिलाओं की स्थिति में सुधार ।
- रॉक संगीत को पसंद करना ।
- रूढ़िवादिता का अंत ।
- सांस्कृतिक धरोहर का खत्म होना ।
- विदेशी फिल्मो का चलन ।
❇️ भारत और वैश्वीकरण :-
🔹 आजादी के बाद भारत ने संरक्षणवाद की नीति अपनाकर अपने घरेलू उत्पादों पर जोर दिया ताकि भारत आत्मनिर्भर रहे ।
🔹 1991 में लागू नई आर्थिक नीति द्वारा भारत वैश्वीकरण के लिए तैयार हुआ और खुलेपन की नीति अपनाई ।
🔹 आज वैश्वीकरण के कारण भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत वार्षिक की दर से बढ़ रही है । जो 1990 में 5.5 प्रतिशत वार्षिक थी । भारत के अनिवासी भारतीय विदेशों में भारतीय संस्कृति को बढ़ावा दे रहे है ।
🔹 भारत के लोग कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर में अपना वर्चस्व स्थापित करने में कामयाब रहे है ।
🔹 आज भारतीय लोग वैश्विक स्तर पर उच्च पदों पर आसीन होने में सफल हुए है ।
❇️ वैश्वीकरण का विरोध :-
🔹 वामपंथी विचारक इसके विभिन्न पक्षों की आलोचना करते है । राजनीतिक अर्थों में उन्हें राज्य के कमजोर होने की चिंता है ।
🔹 आर्थिक क्षेत्र में वे कम से कम कुछ क्षेत्रों में आर्थिक निर्भरता एवं संरक्षण वाद का दौर कायम करना चाहते है ।
🔹 सांस्कृतिक संदर्भ में इनकी चिंता है कि परंपरागत संस्कृति को हानि होगी और लोग अपने सदियों पुराने जीवन मूल्य तथा तौर तरीकों से हाथ धो देंगे ।
🔹 वर्ल्ड सोशल फोरम ( WSF ) नव उदारवादी वैश्वीकरण के विरोध का एक विश्वव्यापी मंच है इसके तहत मानवाधिकार कार्यकर्ता , पर्यावरणवादी मजदूर , युवा और महिला कार्यकर्ता आते है ।
🔹 1999 में सिएट्ल में विश्व व्यापार संगठन की मंत्री – स्तरीय बैठक का विरोध हुआ जिसका कारण आर्थिक रूप से ताकतवर देशों द्वारा व्यापार के अनुचित तौर – तरीकों के विरोध में हुआ ।