❇️ 1990 का दशक :-
🔹 इंदिरा गांधी की हत्या के बाद , राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने और उन्होंने 1984 में हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को भारी जीत दिलाई ।
🔹 1989 के आम चुनावों में किसी भी दल को बहुमत प्राप्त ना होने की स्थिति में भारतीय राजनीति में केन्द्रीय स्तर पर गठबन्धन के युग का आरम्भ हुआ । इस बदलाव ने राष्ट्रीय राजनीति में क्षेत्रीय दलों की भूमिका में अभिवृद्धि की ।
🔹 1990 के पश्चात् भारतीय राजनीति में सामाजिक , आर्थिक व राजनीतिक स्तर पर कई बड़े बदलाव देखे गए जिन्होंने भारतीय राजनिति की दशा व दिशा को बदलने का काम किया ।
❇️ 1990 के बाद प्रमुख बदलाव :-
🔹 कांग्रेस प्रणाली की समाप्ति ।
🔹 राष्ट्रीय राजनीति में जनता दल व भारतीय जनता पार्टी की प्रभावशाली भूमिका ।
🔹 राष्ट्रीय राजनीति में मंडल मुद्दे का उदय
🔹 नयी आर्थिक नीति ( जिसे नई आर्थिक नीति के रूप में भी जाना जाता है ) का अनुसरण विभिन्न सरकारों द्वारा किया जाता है ।
🔹 अयोध्या विवाद :- दिसंबर 1992 में अयोध्या ( जिसे बाबरीमाजिद के नाम से जाना जाता है ) में विवादित ढांचे के विध्वंस में कई घटनाओं का समापन हुआ ।
🔹 गठबंधन की राजनीति का उदय ।
🔹 शाहबानो प्रकरण ।
❇️ नई आर्थिक नीति :-
🔹 1991 में श्री पी . बी . नरसिम्हाराव के नेतृत्व वाली सरकार ( जिसके वित्तमंत्री डा . मनमोहन सिंह थे ) ने देश में नई आर्थिक नीति लागू की जिसे बाद में आने वाली सभी सरकारों ने जारी रखा । इस नीति में अर्थव्यवस्था के उदारीकरण और निजीकरण पर बल दिया गया ।
❇️ कांग्रेस के प्रभुत्व की समाप्ति :-
🔹 कांग्रेस पार्टी की हार ने भारतीय पार्टी प्रणाली पर कांग्रेस के प्रभुत्व के अंत को चिह्नित किया ।
🔹 अब , बहुदलीय व्यवस्था का युग शुरू हुआ ।
🔹 1989 के बाद गठबंधन की राजनीति शुरू हुई ।
🔹 क्षेत्रीय दलों ने अहम भूमिका निभाई ।
❇️ गठबंधन का युग :-
🔹 कांग्रेस की हार के साथ भारत की दलीय व्यवस्था से उसका प्रभुत्व समाप्त हो गया और बहुदलीय शासन – प्रणाली का युग शुरू हुआ ।
🔹 अब केंद्र में गठबंधन सरकारों के निर्माण में क्षेत्रीय दलों का महत्व बढ़ गया । 1989 के चुनावों के बाद गठबंधन का युग आरंभ हुआ । इन चुनावों के बाद जनता दल और कुछ क्षेत्रीय दलों को मिलाकर बने राष्ट्रीय मोर्चे ने भाजपा और वाम मोर्चे के समर्थन से गठबंधन सरकार बनायी ।
🔹 1998 से 2004 तक भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठनबंधन की सरकार रही । इस दौरान अटल बिहारी वाजयेपी प्रधानमंत्री रहे ।
🔹 2004 से 2009 व 2009 से 2014 तक कांग्रेस के नेतृत्व में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सरकार ने लगातार दो कार्यकाल पूरे किए । इस दौरान डा . मनमोहन सिंह प्रधनमंत्री रहे ।
🔹 2014 में नेरन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने इतिहास रचते हुए 30 साल बाद पूर्ण बहुमत प्राप्त किया परन्तु चुनाव पूर्व गठबंधन की प्रतिबद्धता का सम्मान करते हुए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार बनाई । वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी का कांग्रेस मुक्त अभियान 21 राज्यों के सफल रहा ।
❇️ गठबंधन सरकारों के उदय के कारण :-
🔹 राष्ट्रीय राजनीतिक दलों का कमजोर होना ।
🔹 क्षेत्रीय राजनीतिक दलों का प्रादुर्भाव व सरकारों के निर्माण में बढ़ती भूमिका ।
🔹 जाति व सम्प्रदाय आधारित अवसरवादी | राजनीति का उदय ।
❇️ अन्य पिछड़ा वर्ग का राजनीतिक उदय :-
🔹 जब ‘ पिछड़ी जातियों के कई वर्गों के बीच कांग्रेस के समर्थन में गिरावट आई थी , तो इससे गैर – कांग्रेसी दलों को अपना समर्थन पाने के लिए जगह मिली ।
🔹 जनता पार्टी के कई घटक , जैसे भारतीय क्रांति दल और संयुक्ता पार्टी , के पास ओबीसी के कुछ वर्गों के बीच एक शक्तिशाली ग्रामीण आधार था ।
❇️ मंडल मुद्दा :-
🔹 1978 में जनता पार्टी सरकार ने दूसरे ‘ पिछड़ा आयोग ‘ का गठन किया । इसके अध्यक्ष विन्देश्वरी प्रसाद मंडल थे इसलिए इसे मंडल आयोग के नाम से जाना जाता है ।
❇️ मंडल आयोग की मुख्य सिफारिशें :-
🔹 अन्य पिछड़ा वर्ग OBC को सरकारी नौकरियों में 27 प्रतिशत आरक्षण ।
🔹 भूमि सुधारों को पूर्णता से लागू करना ।
🔹1990 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री वी . पी . सिंह की सरकार ने मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करने की घोषणा की । इसके खिलाफ देश के विभिन्न भागों में मंडल विरोधी हिंसक प्रदर्शन हुए ।
❇️ क्रियान्वयन का परिणाम :-
🔹 आरक्षण के विरोध में उत्तर भारत के शहरों में व्यापक हिंसक प्रर्दशन हुए । इसमें छात्रों द्वारा हड़ताल , धरना , प्रर्दशन , सरकारी संपत्ति को नुकसान आदि शामिल थे ।
🔹 परन्तु इस विरोध का सबसे अहम पहलू बेरोजगार युवाओं व छात्रों द्वारा आत्मदाह तथा आत्महत्या जैसी घटनायें थी । दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र राजीव गोस्वामी द्वारा सरकार के फैसले के खिलाफ सर्वप्रथम आत्मदाह का प्रयास किया गया ।
🔹 विरोधियों का तर्क था कि जातिगत आधार पर आरक्षण समानता के अधिकार के खिलाफ है । तमाम विरोधों के बावजूद 1993 में तत्कालीन प्रधानमंत्री वी . पी . सिंह द्वारा ये सिफारिशें लागू कर दी गयी ।
❇️ अयोध्या विवाद :-
🔹 16 वीं सदी में मीर बाकी द्वारा अयोध्या में बनवाई मस्जिद के बारे में कहा गया कि यह मस्जिद मंदिर को तोड़कर बनवाई गई । यह मामला अदालत में गया और 1940 के दशक में टाला लगा दिया गया । बाद में जब ताला खुला तो इस मुद्दे पर वोट बैंक की राजनीति हुई । 6 दिसम्बर 1992 को मस्जिद का ढांचा तोड़ दिया गया । इससे कारण देश में साम्प्रदायिक हिंसा फैली और 1993 में मुम्बई में दंगे हुई । विवाद की जांच के लिए लिब्रहान आयोग का गठन किया गया ।
❇️ गोधरा कांड :-
🔹 26 फरवरी 2002 को गुजरात के गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस में कारसेवकों की बोगी में आग लग गयी . यह संदेह करके कि बोगी में आग मुस्लिमों में लगाई होगी अगले दिन गुजरात में बड़े पैमाने पर मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा हुई । यह एक महीने चला और 1100 व्यक्ति मारे गए ।
❇️ शाहबानों प्रकरण :-
🔹 शाहबानों एक मुस्लिम महिला थीं जिसे तलाक के बाद पति ने गुजारा भत्ता देने से मना कर दिया था । सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 44 ( समान नागरिक संहिता ) के तहत शाहबानों को पति के गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया ।
❇️ सहमति के मुद्दे :-
🔹 विभिन्न दलों में बढ़ती सहमति के मुद्दे निम्न हैं :
- 1 ) नई आर्थिक नीति पर सहमति ।
- 2 ) पिछड़ी जातियों के राजनीतिक और सामाजिक दावों की स्वीकृति ।
- 3 ) क्षेत्रीय दलों की भूमिका एवं साझेदारी को स्वीकृति ।
- 4 ) विचारधारा की जगह कार्यसिद्धि पर जोर ।
❇️ लोकसभा चुनाव 2004 :-
🔹 2004 के चुनावों में , बीजेपी नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस के नेतृत्व में गठबंधन को हराया गया और कांग्रेस के नेतृत्व में नया गठबंधन , जिसे संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के सत्ता में आने के रूप में जाना जाता है ।
❇️ ‘एनडीए [ NDA ] III और IV’ :-
🔹 मई 2014 में हुए लोकसभा चुनावों में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी को पूर्ण बहुमत मिला और भारतीय राजनीति में लगभग 30 वर्षों के बाद, केंद्र में पूर्ण बहुमत वाली एक मजबूत सरकार की स्थापना हुई।
🔹 हालांकि एनडीए III कहा जाता है की 2014 का भाजपा के नेतृत्व वाला गठबंधन अपनी पूर्ववर्ती (पहले) गठबंधन सरकारों से काफी हद तक अलग था।
🔹 जहां पिछले गठबंधनों का नेतृत्व राष्ट्रीय दलों में से एक ने किया था, एनडीए III गठबंधन को न केवल एक राष्ट्रीय पार्टी, यानी भाजपा द्वारा संचालित (लीड) किया गया था, यह भी लोकसभा में अपने पूर्ण बहुमत के साथ भाजपा का प्रभुत्व था। इसे ‘अधिशेष बहुमत वाला गठबंधन’ भी कहा गया।
🔹 इस अर्थ में गठबंधन राजनीति की प्रकृति में एक बड़ा परिवर्तन देखा जा सकता है जिसे एक पार्टी के नेतृत्व वाले गठबंधन से एक पार्टी के प्रभुत्व वाले गठबंधन में देखा जा सकता है।
🔹 2019 के लोकसभा चुनाव, आजादी के बाद से 17वें, ने 543 में से 350 से अधिक सीटें जीतकर एक बार फिर बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए [एनडीए IV] को सत्ता के केंद्र में वापस ला दिया।
🔹 2019 में भाजपा की उथल-पुथल (उतार-चढ़ाव) की सफलता के आधार पर, सामाजिक वैज्ञानिकों ने समकालीन पार्टी प्रणाली की तुलना ‘भाजपा प्रणाली’ से करना शुरू कर दिया है, जहां भारत की लोकतांत्रिक राजनीति पर एक बार फिर कांग्रेस व्यवस्था की तरह एक दलीय प्रभुत्व का युग दिखाई देने लगा है।
❇️ ‘विकास और शासन के मुद्दे’ :-
🔹 अपने पूर्व – निर्धारित लक्ष्य सबका साथ , सबका विकास के साथ , एनडीए III सरकार ने विकास और शासन को जनता के लिए सुलभ बनाने के लिए कई सामाजिक – आर्थिक कल्याणकारी योजनाएं शुरू की ।
🔹 जैसे :- प्रधान मंत्री उज्ज्वला योजना , स्वच्छ भारत अभियान , जन – धन योजना , दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना , किसान फसल बीमा योजना , बेटी पढाओ , देश बढ़ाओ , आयुष्मान भारत योजना आदि ।
🔹 इन सभी योजनाओं का उद्देश्य ग्रामीण परिवारों , विशेषकर महिलाओं को केंद्र सरकार की योजनाओं का वास्तविक लाभार्थी बनाकर प्रशासन को आम आदमी के दरवाजे तक ले जाना है ।